Thursday, April 28, 2011

बापू तुझे मिलने का....


बापू तुझे मिलने का रामनाम ही बहाना है
दुनियावाले क्या जाने इससे रिश्ता पुराना है

अरे शिर्डी मैं धूंडा तुझे मुंबई मैं पाया है
दाभोलकर के (२) साईनिवास से ओ शुरु मेरे बापू की कहानी है ||1||
... बापू तुझे मिलने का....

अरे राधा को धुंडा मैने, मीरा के प्रभू को पाया है
बापू के (२) हृदय मैं, मेरी नंदाई की मूरत है ||2||
बापू तुझे मिलने का....

अरे लक्ष्मण को समझा मैने, बलराम को पाया है
सुचितदा के (२) स्वरुप मैं प्यारे शेषराज को पाया है ||3||
बापू तुझे मिलने का....

अरे भागवत को पढा मैंने, और गीता को पढा है
आद्यपिपा की (२) पिपासा से ओ मैंने सिर्फ बापू को ही पाया है ||4||
बापू तुझे मिलने का....

अरे गलियो मैं धुंडा तुझे, मंदीरो मैं धूंडा है
मेरे ही (२) हृदय मैं ओ मरे बापू का सिंहासन है ||5||
बापू तुझे मिलने का.....

अरे अंदर पाय तूझे, बाहर भी पाया है
बापू के (२) चरणॊ मैं, इस पगली का ठिकाना है ||6||
बापू तुझे मिलने का.....

- रेश्मावीरा हरचेकर, वर्ष २००३

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